Friday 1 November 2013

इधर-उधर की बात में गायब मुददे


वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव की अघोषित तौर पर रणभेजी बज चुकी है। मुख्य रूप से मैदान में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने ताकत झोंक दी है। भाजपा ने घोषित तौर पर नरेन्द्र भाई मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया तो है तो उनके मुकाबले में कांग्रेस ने अमेठी के सांसद राहुल गांधी को मैदान में अघोषित तौर पर उतार दिया है। प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे राहुल गांधी केन्द्र में पिछले नौ साल से चली आ रही यूपीए सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के बजाय जिस प्रदेश में जाते हैं, वहां की सरकार अगर कांग्रेस या उसके सहयोगी की नहीं है तो उसे निशाने पर लेते हैं, या फिर अपने परिवार का मार्मिक इतिहास सुनाकर लोगों से कांग्रेस का समर्थन करने की अपील करते हैं। बदले में नरेन्द्र मोदी मुददे तो उठाते हैं, पर वही जिस पर कांग्रेस तुनके उतनी ही बात करते हैं। पूरे देश में भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, ग्रामीण विकास जैसे तमाम मुददे हैं, जिन पर बात नहीं की जा रही है। हम बात उत्तर प्रदेश की करें तो यहीं से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं और खुद राहुल गांधी अमेठी से सांसद हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वान्चल में जापानी बुखार का कहर पिछले एक दशक से व्याप्त है। दशक भर में इस बुखार की चपेट में आकर अब तक आठ हजार से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, पर यह मुददा न तो राहुल के पास है और न ही नरेन्द्र मोदी के पास। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का करोडों का बकाया पडा हुआ है, पर यह भी इन नेताओं का मुददा नही है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमांचल में पिछले डेढ माह से साम्प्रदायिक हिंसा की लपटें रह-रह कर उठ रही हैं, पर यह भी इन नेताओं के मुददे नहीं हैं। शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है। एक लाख 80 हजार शिक्षण शिक्षणेत्तर कर्मचारी वित्तविहीन मान्यता प्राप्त विद्यालयों में काम कर रहे हैं, उन्हें जीविकोपार्जन भत्ता भी नहीं मिल रहा है। पर यह भी किसी का मुददा नहीं है। होमगार्ड अफसरों के घरेलू नौकर बनकर रह गये हैं, यह मुददा नहीं है। प्राथमिक शिक्षा पूरी तरह से चौपट हो रही है, यह भी मुददा नहीं है। अगर कुछ मुददा है तो बस एक-दूसरे की आलोचना करना। प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के डेढ साल बाद भी अभी बसपा सुप्रीमो मायावती की ही माला जप रहे हैं और लोगों को माया सरकार की खौफ दिखा रहे हैं। पर जनता सब जान चुकी है। अब उसे और अधिक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकेगा।

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