Monday 22 August 2016

जिन बातों पर राजन नापसंद, उन्हीं पर पहली पसंद बने पटेल

रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के नए गवर्नर उर्जित पटेल होंगे। उर्जित फिलहाल आरबीआई के डिप्टी गवर्नर हैं। खास बात ये है कि बीजेपी नेता सुब्रमणियन स्वामी जिन बातों को लेकर रघुरामराजन पर हमलावर थे, उर्जित में भी वही बातें हैं। लेकिन इस बार स्वामी विरोध नहीं बल्कि समर्थन कर रहे हैं। उर्जित पटेल को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का नया गवर्नर नियुक्त किया गया है। वह रघुराम राजन का स्थान लेंगे जो कि चार सितंबर को गवर्नर पद से मुक्त हो रहे हैं। उर्जित पटेल इस समय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। नए आरबीआई गवर्नर के तौर पर उर्जित पटेल की नियुक्ति को लगता है भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी का समर्थन हासिल है। स्वामी ने निवर्तमान आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर कई हमले किए थे। कई रीट्वीट और अपने ट्विटर फॉलोवरों को जवाब देते हुए स्वामी ने कहा कि यह सोचना बेवकूफाना होगा कि वह पटेल की इस बात के लिए आलोचना करने की सोचेंगे कि उनका जन्म केन्या में हुआ। मुद्रास्फीति को रोकने के लिए ब्याज दर कम नहीं करने की राजन की नीति के स्वामी कटु आलोचक रहे हैं। स्वामी ने उम्मीद जताई कि पटेल वैसे आक्रामक नहीं होंगे। जब स्वामी के एक फॉलोवर ने केन्या का नागरिक होने के कारण पटेल की आलोचना की तो स्वामी ने कहा कि वह केन्या के नागरिक नहीं हैं, वह थे। आर 3 का जन्म भारत में हुआ और उन्होंने भारत में 2007 से रहने के बावजूद अपना ग्रीन कार्ड बरकरार रखना चुना। आर 3 रघुराम राजन का उल्लेख करने के लिए आदिवर्णिक शब्द है। इसका उन्होंने ब्याज दर ऊंची रखकर विकास को नुकसान पहुंचाने के लिए राजन पर हमला करने के दौरान कई बार इस्तेमाल किया। उनके ट्वीट की वजह से उनके फॉलोवरों ने दावा किया कि वह पटेल की नियुक्ति का समर्थन कर रहे हैं। स्वामी ने एक फॉलोवर की टिप्पणी को रीटवीट किया। इसमें कहा गया है, ऐसा लगता है कि स्वामी उर्जित पटेल की नियुक्ति को स्वीकति दे रहे हैं। जब एक ट्विटर पर मौजूद व्यक्ति ने कहा कि मैं सुनिश्चित हूं कि स्वामी इस नियुक्ति से खुश नहीं हैं तो भाजपा सांसद ने पलटकर कहा कि बकवास। स्वामी ने एक फॉलोवर के टवीट को रीट्वीट किया जिसमें कहा गया है, अलविदा रघुराम राजन। कोई और शौक चुनें। शुक्रिया। स्वागत उर्जित पटेल। स्वामी ने इससे पहले आरोप लगाया था कि राजन देश के लिए उपयुक्त नहीं हैं और उन्होंने कहा था कि राजन ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करने की आड़ में ब्याज दरों में वद्धि की जिससे देश को नुकसान हुआ। आश्चर्यजनक तरीके से राजन ने जून में आरबीआई कर्मियों को भेजे गए पत्र में घोषणा करते हुए कहा कि वह शिक्षण कार्य में लौटेंगे और दूसरा कार्यकाल नहीं लेंगे।

इन बातों पर हुआ था राजन का विरोध
1. विदेशी मानसिकता
भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी बोले- अमेरिका में पढ़े राजन ग्रीन कार्ड होल्डर हैं। दिमागी तौर पर पूरे भारतीय नहीं हैं।
हकीकत: पटेल की तो स्कूलिंग भी विदेश की है उर्जित मूल रूप से गुजरात के खेड़ा जिला के महुधा गांव के हैं। माता-पिता केन्या में रहते थे। जन्म नैरोबी में हुआ था। स्कूलिंग से पीएचडी तक लंदन और अमेरिका की।

2. सिर्फ महंगाई की चिंता, इंडस्ट्री की नहीं
राजन पर आरोप लगा कि उन्होंने स्माल इंडस्ट्रीज को नुकसान और अमेरिका को फायदा पहुंचाया।
हकीकत: राजन का यह फैसला उर्जित कमेटी की सिफारिश पर ही लिया गया था। उर्जित की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सिफारिश की थी कि रिजर्व बैंक महंगाई रोकने पर ध्यान दे। और खुदरा महंगाई दर 4% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

3. यूपीए के करीबी
कहा गया कि राजन की नियुक्ति यूपीए समय की है। वे अब भी चिदंबरम के करीबी बने हुए हैं।
हकीकत: उर्जित ने यूपीए का 100 डे प्लान बनाया। यूपीए सरकार ने ही उर्जित को आरबीआई का डिप्टी गवर्नर बनाया था। उस समय उन्होंने ही यूपीए-2 का 100 दिन का प्लान बनाया था। ये भी चिंदबरम के करीबी हैं।

अब यह कहा स्वामी ने?
-उर्जित पटेल को आरबीआई गवर्नर बनाए जाने के फैसले का स्वामी ने स्वागत किया। ट्विटर पर जब लोगों ने पटेल पर स्वामी का रिएक्शन जानना चाहा तो उन्होंने कहा-पटेल केन्या के नागरिक हैं नहीं बल्कि थे। राजन भारत में पैदा हुए, 2007 से यहीं रह रहे थे लेकिन ग्रीन कार्ड अमेरिका का रखे हुए थे।
- स्वामी ने ये भी कहा कि सिर्फ केन्या में जन्मे होने की वजह से पटेल को क्रिटिसाइज करना मूर्खता होगी। उम्मीद ये करनी चाहिए कि वो राजन की तरह तेज नहीं होंगे।

इसलिए बनी उर्जित के नाम पर सहमति
1. रघुराम राजन ने ही की पहली सिफारिश
- सबसे पहले रघुराम राजन ने उर्जित पटेल का नाम सुझाया था। उनका कहना था कि जो काम तीन साल में हुए, उनमें पटेल की अहम भूमिका।
2. उर्जित पटेल को हमेशा आगे रखा
- उर्जित सबसे अहम मॉनिटरी पॉलिसी डिवीजन के प्रमुख थे। पॉलिसी से जुड़े सवालों के दौरान राजन उन्हें ही जवाब देने के लिए आगे करते थे।
3. नॉन ब्यूरोक्रेसी बैंकग्राउंड होना
-आरबीआई में 5 डिप्टी गवर्नरों में एक अर्थशास्त्री होता है। पटेल ब्यूरोक्रेसी कैटेगरी से थे। इसका फायदा आरबीआई को आगे भी मिलेगा।

कौन हैं उर्जित पटेल?
- 52 साल के पटेल को इस साल जनवरी में तीन साल के लिए री-अप्वॉइंट किया गया था। वे 11 जनवरी 2013 को आरबीआई से जुड़े।
- रघुराम राजन के आने से पहले ही वे आरबीआई में आ गए थे।
- राजन और उर्जित में समानता ये है कि दोनों वाशिंगटन में आईआईएफ में साथ काम कर चुके थे।
- उर्जित कई फाइनेंशियल कमेटी के मेंबर रह चुके हैं। 2014 में देश में पहली बार महंगाई दर का लक्ष्य तय करने का फैसला भी पटेल की अगुआई वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही हुआ था।
-पटेल ने कहा था कि खुदरा महंगाई का लक्ष्य 4% रखा जाना चाहिए और इसमें 2% कम-ज्यादा की गुंजाइश हो।
- आरबीआई में आने से पहले पटेल बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के एडवाइजर थे।

ये होंगी चुनौतियां
- आरबीआई के नए गवर्नर के पास सबसे बड़ी चुनौती महंगाई कंट्रोल करने की होगी।
- महंगाई को लेकर पटेल का रुख राजन के ही समान है। राजन भी ग्रोथ के बजाय महंगाई को ज्यादा तवज्जो देते रहे हैं।
- माना जा रहा है कि ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक की सख्त नीति बरकरार रहेगी।
- साथ ही मोदी सरकार के कई अहम रिफॉर्म्स की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधे पर होगी।
- कहा जाता है कि राजन को बनाए रखने के लिए इंडस्ट्री से लेकर फाइनेंस मिनिस्ट्री तक की रजामंदी थी।
- ऐसे में नए सिरे से काम शुरू करते वक्त उर्जित पटेल को इसी तरह का सपोर्ट हासिल करना होगा।

उर्जित पटेल के बारे में 
केन्या में हुआ जन्म
उर्जित पटेल का जन्म केन्या में हुआ था। उनके दादा गुजरात से 20वीं शताब्दी में केन्या गए थे। उनके पिता की नौरोबी में स्पेयर पार्ट्स की दुकान थी।

विदेश मे हुई पढ़ाई
वहीं वह पढ़ाई के लिए यूके और यूएस में रहे। उन्होंने येल यूनिवर्सिटी से 1990 में अर्थशास्त्र में डाक्टरेट की और इससे पहले 1986 में आॅक्सफोर्ड से एम फिल किया। उन्होंने भारत में पोस्टिंग होने के बाद ही गुजराती और हिंदी सीखी थी।

पहले गुजराती गवर्नर के गांव से नाता
उनके दादाजी गुजरात के गांव पालना से थे। यह वही गांव है जहां से देश को फइक के पहले गुजराती गवर्नर मिले। वह थे आईजी पटेल।

मां के लिए छोटे घर में आए
पटेल के पिताजी की मौत के बाद से मां उनके साथ रहती है। कुछ महीने पहले उन्होंने मुंबई के एक छोटे से घर में शिफ्ट कर लिया क्योंकि आॅफिस से मिले चार रूम के बेडरूम वाले घर में उनकी मां का दिल नहीं लगता था।

मनमोहन सिंह ने बताया था ‘सबसे जरूरी’
 2013 में उर्जित ने आरबीआई का डिप्टी गवर्नर बनने के वक्त भारतीय पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था। उनका पासपोर्ट बनाने की पैरवी खुद उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की थी। मनमोहन सिंह ने उन्हें देश के लिए बहुत जरूरी शख्स बताया था।

तीन बड़ी चुनौतियों से सामना करना होगा

1. सरकारी बैंकों का डूबता कर्ज कैसे बचाया जाए
पिछले एक साल में करीब 39 लिस्टेट बैंकों का कुल एनपीए 96% प्रतिशत तक बढ़ गया है। यानी कुल 6.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बैंकों का देनदारों के बीच फंसा है जो कि साल 2015 में 3.2 लाख करोड़ था। इसी साल जून में रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अगले साल तक ये कुल कर्ज़ का 8.5 प्रतिशत तक पहुँच जाएगा। मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों को डूबते कर्ज़ को अपनी बैलेंसशीट से हटाने के लिए मार्च 2017 तक का समय दिया है। इस स्थिति से निपटना उर्जित के लिए पहली बड़ी चुनौती होगी।

2. मुद्रा नीति के लिए समिति
उर्जित ब्याज दरों को तय करने के लिए बनी समिति मोनेटरी पॉलिसी कमिटी के पहले अध्यक्ष होंगे। छह सदस्यीय इस समिति को ही ब्याज दरों पर निर्णय लेना है। अगर किसी मामले पर वोटिंग करना पड़ता है तो वहां गवर्नर के पास वीटो पावर नहीं बल्कि वोट करने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा खुदरा महंगाई दर अगले पांच साल के लिए 4% तय किया गया है। 2% इसके ऊपर या नीचे ही हो सकता है। नए गवर्नर के लिए ये भी एक बड़ी चुनौती होगी।

3. डॉलर कर्ज भुगतान
उर्जित पटेल को पहला बड़ा टास्क अगले ही महीने मिलेगा। भारत 2000 करोड़ डॉलर के बॉन्ड्स भुनाएगा। बैंकों ने पिछले कुछ वर्षों में विदेशी बाजारों से ये रकम वसूल की थी। इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत आज 67 रुपये के इर्दगिर्द चल रही है। इसे नियंत्रित करना भी उर्जित के लिए बड़ी चुनौती होगी।