Thursday 28 April 2016

दारा सिंह की रिहाई के लिए उठी आवाज

श्री माता बाला सुंदरी देवा जी धाम करनाल में दारा सिंह जी की जेल रिहाई के लिए विशेष बैठक हुई, जिसमें साध्वी देवा ठाकुर जी ने तुरंत करवाई करते हुए गृहमंत्री  राजनाथ सिंह जी के पास फोन किया और उनसे दारा सिंह जी की रिहाई की माँग की। साघ्वी के मुताबिक गृहमंत्री  राजनाथ सिंह जी ने भी दारा सिंह की रिहाई का आश्वासन दिया। जल्द ही साध्वी देवा ठाकुर अपने समर्थकों के साथ जल्द ही गृहमंत्री  राजनाथ सिंह से मिलेंगी और दारा सिंह को जल्द से जल्द रिहा करवाने का हर संभव प्रयास करेंगी। इस बैठक में अरविंद सिंह जी (दारा सिंह के भाई), धर्मयोद्धा अनुपम बजरंगी, लकी ठाकुर,राजीव ठाकुर आदि लोग सम्मलित हुए। हिन्दू हित के लिए 17 साल पहले उड़ीसा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले महाप्रतापी दारा सिंह के भाई अरविन्द लगातार दारा सिंह को रिहा कराने के अभियान में लगे हुए हैं। 

Wednesday 27 April 2016

2 साल में 3 बार संसद पहुंचे मिथुन

मिथुन चक्रवर्ती के राज्यसभा की कार्यवाही में मौजूद रहने से छुट्टी मांगने पर सांसदों ने एतराज जताया है। टीएमसी सांसद ने बीमारी के चलते सदन में आने से छूट की एप्लिकेशन दी है। इस पर जेडीयू सांसद केसी त्यागी और सपा के नरेश अग्रवाल का अपर हाउस में ही गुस्सा फूट पड़ा। बता दें कि मिथुन को टीएमसी ने 2 साल पहले राज्यसभा भेजा था। इस दौरान वे महज तीन बार ही सदन में मौजूद रहे।  मिथुन ने मंगलवार को अपर हाउस की कार्यवाही में शामिल होने से छूट देने की एप्लिकेशन दी। जिस पर सांसदों ने एतराज जताया है। मिथुन ने अपनी लीव एप्लीकेशन के साथ मेडिकल सर्टिफिकेट भी दिया है।  उनके छुट्टी मांगने पर टीएमसी नेताओं ने हाउस को बताया-मिथुन को हेल्थ प्रॉब्लम्स हैं। वे बीमार भी हैं और उनकी आॅथोर्पेडिक सर्जरी भी हुई है। इस पर जेडीयू और सपा के सांसदों ने कहा-वह शख्स जो फिल्मों के अपने प्रोफेशनल वर्क में बिजी है, उसके पास हाउस की कार्यवाही में शामिल होने का टाइम कैसे नहीं है। टीएमसी नेताओं ने इन आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया कि मिथुन फिल्मों में बिजी हैं, लेकिन सदन में मौजूद होने के समय बीमार कैसे हो जाते हैं। बता दें कि 2 साल में तीन बार सदन पहुंचे मिथुन ने एक बार भी स्टेटमेंट नहीं दिया है।

Wednesday 13 April 2016

अकेले अंबेडकर को संविधान का भगवान मानना गलत

बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर भारत देश ही नहीं अपितु दुनिया के अमूल्य धरोहर हैं। अस्पृश्यता के विरुद्ध उनके द्वारा चलाए गए आन्दोलन वरेण्य हैं।  इस देश की माटी का कण-कण उनका अभिनंदन करता है। किन्तु यह अत्यंत निन्दनीय है कि अकेले अंबेडकर को भारतीय संविधान का भगवान बताकर आने वाली पीढ़ी को इतिहास की सच्चाई से भटकाने की घृणित कोशिश की जा रही है।

ऐसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण

--संविधान सभा की प्रेरणा का स्रोत 17वीं और 18वीं शताब्दी की लोकतांत्रिक क्रांतियां हैं। इन क्रांतियों ने इस विचार को जन्म दिया कि शासन के मूलभूत कानूनों का निर्माण नागरिकों की एक विशिष्ट प्रतिनिधि सभा द्वारा किया जाना चाहिए।

--भारत की संविधान सभा का निश्चित उल्लेख भारत शासन अधिनियम, 1919 के लागू होने के पश्चात 1922 में महात्मा गांधी ने किया था।

--जनवरी 1925 में दिल्ली में हुए सर्वदलीय सम्मेलन के समक्ष कॉमनवेल्थ आॅफ इण्डिया बिल को प्रस्तुत किया गया, जिसकी अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की थी। भारत के लिए एक संवैधानिक प्रणाली की रूपरेखा प्रस्तुत करने का यह प्रथम प्रमुख प्रयास था।
---19 मई, 1928 को बंबई में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में भारत के संविधान के सिद्धांत निर्धारित करने के लिए मोतीलाल नेहरु के सभापतित्व में एक समिति गठित की गई। 10 अगस्त, 1928 को प्रस्तुत की गई इस समिति की रिपोर्ट की नेहरू रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसे लगभग ज्यों-का-त्यों 21 वर्ष बाद 20 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत स्वाधीन भारत के संविधान में समाविष्ट कर लिया गया।

---जून 1934 में कांग्रेस कार्यकारिणी ने घोषणा की कि श्वेत-पत्र का एकमात्र विकल्प यह है कि वयस्क मताधिकार के आधार पर निर्वाचित संविधान सभा द्वारा एक संविधान तैयार किया जाए। यह पहला अवसर था जब संविधान सभा के लिए औपचारिक रूप से एक निश्चित मांग प्रस्तुत की गयी।
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1940 के अगस्त प्रस्ताव में ब्रिटिश सरकार ने संविधान सभा की मांग को पहली बार अधिकारिक रूप से स्वीकार किया, भले ही स्वीकृति अप्रत्यक्ष तथा महत्वपूर्ण शर्तो के साथ थी। यद्यपि 1942 का क्रिप्स मिशन पूर्णत: असफल सिद्ध हुआ, फिर भी उसमें संविधान सभा बनाने की बात को स्वीकार कर लिया गया था।
---अंतत: कैबिनेट मिशन, 1946 द्वारा संविधान निर्माण के लिए एक बुनियादी ढांचे का प्रारूप प्रस्तुत किया गया।
--- निर्धारित फॉर्मूले के अनुसार संविधान सभा में प्रांतों के अधिक-से-अधिक 296 सदस्य हो सकते थे और देशी राज्यों के 93।

--संविधान सभा में अंतिम रूप से प्रांतों के केवल 285 और देशी रियासतों के 78 प्रतिनिधि थे तथा संविधान के अंतिम मूल मसौदे पर इन्हीं 808 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
---संविधान सभा के सर्वाधिक प्रभावशाली सदस्य थे- डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, जवाहरलाल नेहरु, वल्लभ भाई पटेल, डॉ. अम्बेडकर, गोविंद वल्लभ पंत, एन.जी.आयंगर, कृष्णास्वामी अय्यर, के. एम. मुंशी, आचार्य कृपलानी तथा श्यामाप्रसाद मुखर्जी।

--- तेजबहादुर सपू और जयप्रकाश नारायण को भी संविधान सभा की सदस्यता के लिए आमंत्रित किया गया था, किन्तु सप्रू स्वास्थ्य संबंधी कारणों के आधार पर इसे स्वीकार न कर सके और जयप्रकाश नारायण ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

---संविधान को सफलतापूर्वक निर्मित करने के उद्देश्य हेतु संविधान सभा ने कुल 22 समितियों का गठन किया, जिसमें 10 कार्यविधिक मामलों संबंधी एवं 12 तात्विक मामलों की समितियां थीं।

प्रारूप समिति (अध्यक्ष-बी.आर. अम्बेडकर)
प्रारूप समीक्षा समिति (अध्यक्ष-सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर)
समझौता समिति (अध्यक्ष-राजेंद्र प्रसाद)
संघ संविधान समिति (अध्यक्ष-जवाहरलाल नेहरू)
प्रांतीय संविधान समिति (अध्यक्ष-सरदार वल्लभ भाई पटेल)
मुख्य आयुक्त (प्रांत) समिति मूल अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति (अध्यक्ष-सरदार वल्लभ भाई पटेल)
भाषायी प्रांत समिति संघ शक्ति समिति (अध्यक्ष- जवाहरलाल नेहरू)

--संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसम्बर, 1946 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में संपन्न हुआ। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सर्वसम्मति से संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुन लिया गया। इसके पश्चात् 11 दिसम्बर, 1946 को कांग्रेस के नेता डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किए गए। 13 दिसम्बर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्य-प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्ताव में भारत के भावी प्रभुसत्तासंपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की रुपरेखा प्रस्तुत की गई थी।

---सम्पूर्ण संविधान निर्माण में 2 वर्ष, 11 मास और 18 दिन लगे। इस कार्य पर लगभग 64 लाख रुपये व्यय हुए। संविधान के प्रारूप पर 114 दिन तक चर्चा चली। अंतिम रूप में संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां कायम की गईं।

---नागरिकता, निर्बचन, अंतरिम संसद, अल्पकालिक एवं परवर्ती उपबंध जैसे संविधान के कुछ अनुच्छेद संविधान की स्वीकृति के तुरन्त पश्चात अर्थात 26 नवम्बर, 1946 से ही लागू कर दिए गए थे, जबकि शेष संविधान 26 जनवरी, 1950 से संपूर्ण देश में लागू हुआ। 

Tuesday 12 April 2016

महाराष्ट्र के 15 हजार गांव में गंभीर जलसंकट

 सूखे से जूझ रहे महाराष्ट्र के लातूर जिले के लिए पानी लेकर पहली ट्रेन मंगलवार सुबह यहां पहुंच गई। इस ट्रेन ने 350 किलोमीटर की दूरी 18 घंटे में तय की। हालांकि लोगों तक इसका पानी काफी देर से पहुंच पाएगा। पहले इस पानी को फिल्टर किया जाएगा। ट्रेन से कुल पांच लाख लीटर पानी भेजा गया है। लातूर में धारा 144 लागू है। इस बीच नेताओं में क्रेडिट लेने को होड़ मच गई है। मौजूदा समय में राज्य में करीब 15,000 गांव गंभीर जलसंकट से जूझ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश गांव लातूर, बीड और उस्मानाबाद जिले में आते हैं।

कुछ ऐसी है महाराष्ट्र की हालत
- महाराष्ट्र में साल 2016 में हर महीने करीब 90 किसानों ने सुसाइड किया।
- कई तालाबों और नदियों में पानी 4% से भी कम बचा है।
- लगातार चौथी बार महाराष्ट्र सूखे का सामना कर रहा है।
- सबसे ज्यादा असर औरंगाबाद, लातूर और विदर्भ के जिलों में देखने को मिल रहा है।

कहां-कहां हैं सूखे जैसे हालात?
- महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में नदी और डैम पूरी तरह से सूख चुके हैं।
- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी बेहाल।
- यूपी और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में बंदूकों के सहारे पानी की निगरानी की जा रही है।

सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद
 पिछले दो साल बरसात में कमी और सूखे जैसी स्थिति के बाद सरकार ने सोमवार को कहा कि इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है। उसने तथा राज्यों को निर्देश दिया कि वे जून से शुर होने वाली खरीफ सत्र में फसल का रकबा और उत्पादन बढ़ाने की योजना तैयार करे। कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने वर्ष 2016.17 के लिए खरीफ अभियान को शुरू करने के लिए एक रारष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, अल नीनो (समुद्री सतह के तामान में बदलवा की घटना) के प्रभाव में गिरावट आ रही है। ऐसी उम्मीद है कि इसके बाद ‘ला नीना’ की स्थिति आयेगी और जिससे इस वर्ष मानसून बेहतर हो सकता है।

Monday 11 April 2016

‘नीट’ के जरिये ही होंगे निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश

 अपने एक फैसले को वापस लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी मेडिकल कालेजों में दाखिले राष्ट्रीय योग्यता प्रवेश परीक्षा (नीट) के आधार पर होंगे। संविधान पीठ ने सोमवार को दिए अपने आदेश में कहा कि यह फैसला उचित नहीं था इस फैसले में न तो बहुमत के दृष्टिकोण पर विचार किया गया और न ही पीठ के सदस्यों के साथ विमर्श किया गया। इसलिए इस निर्णय पर पुनर्विचार का आदेश दिया जाता है और इसे वापस लिया जाता है।
इस आदेश का देशभर के 600 मेडिकल कालेजों पर असर होगा जो अपने टेस्ट के आधार पर मेडिकल कोर्सों में प्रवेश देते हैं। पूर्व के आदेश में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा था कि निजी मेडिकल कालेजों में प्रवेश नीट के जरिये करने की जरूरत नहीं है। इस पीठ में जस्टिस एआर दवे भी थे। ये कालेज ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों में प्रवेश अपने टेस्ट के आधार पर कर सकते हैं। पीठ का कहना था कि मेडिकल कौंसिल को नीट कराने का अधिकार नहीं है, यह सिर्फ मेडिकल शिक्षा का विनियमन ही कर सकती है। सोमवार को जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने 18 जुलाई 2013 का फैसला वापस लेते हुए कहा कि इस मामले में दोबारा से सुनवाई होगी। इस आदेश में निजी मेडिकल कालेजों को नीट के दायरे से बाहर कर दिया गया था। संविधान पीठ ने कहा कि पूर्व के फैसले में खामियां थी और इसमें बहुमत के दृष्टिकोण पर विचार नहीं किया गया और न ही स्थापित तथा बाध्यकारी नजीरों पर विचार हुआ। इसलिए हम इस फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका को स्वीकार करते हैं और 18 जुलाई 2013 को सुनाए गए फैसले को वापस लेते हें। साथ ही मामले का नए सिरे से सुनने के आदेश देते हैं। इस फैसले के खिलाफ मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया ने पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की थी। उसने कहा था कि टेस्ट कराने का मकसद मेरिट को जांचना है क्योंकि एमबीबीएस करने वाले छात्र डाक्टर बनते हैं जो लोगों को इलाज करते हैं।



Sunday 10 April 2016

भारत में अब भी सिर्फ 27 फीसदी महिला कर्मचारी

खेल हो या राजनीति, विज्ञान हो या तकनीक, महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हालांकि भारत के कार्य बल में उनकी हिस्सेदारी अब भी बेहद कम है। देश के कुल कामकाजी लोगों में सिर्फ 27 फीसदी महिलाएं हैं। इंडिया स्पेंड की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले 10 सालों में 2.5 करोड़ महिलाओं ने नौकरी छोड़ी है। कार्य बल में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में हम बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे हैं। भारत के कामकाजी लोगों में महिलाओं की संख्या बेहद कम है। इस मामले में हमारा देश दक्षिण एशिया में सिर्फ पाकिस्तान से ही बेहतर स्थिति में है। इंडिया स्पेंड की ओर से जुटाए आंकड़ों के मुताबिक स्वास्थ्य और शिक्षा के लिहाज से महिलाओं की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई। बावजूद इसके कार्य क्षेत्र और पेशेवर जगत में उनकी भागीदारी बढ़ने के बजाय घटती जा रही है।

शिक्षा में स्थिति बेहतर हुई पर काम में नहीं
इंडिया स्पेंड के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2005 में सेकेंडरी एजुकेशन से जुड़े कोर्स में जहां 49.5 फीसदी महिलाएं शामिल थीं वहीं 2012 में इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 69.4 फीसदी हो गई। इसी तरह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उनकी स्थिति में सुधार हुआ है। साल 2005 में जहां जन्म के समय महिलाओं की औसतन जीवन प्रत्याशा 65.4 साल थी, वहीं साल 2012 में यह बढ़कर 68.7 साल हो गई। स्वास्थ्य और शिक्षा में स्थिति सुधरने के बावजूद कार्य बल में महिलाओं की भागीदारी कम हुई है। साल 2005 में देश के कुल कामकाजी लोगों में जहां 36.9 फीसदी महिलाएं थीं, वहीं साल 2012 में उनकी हिस्सेदारी घटकर 26.9 फीसदी पर पहुंच गई।

Friday 1 April 2016

50 लाख से अधिक आमदनी वालों पर कड़ी नजर

 आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2016-17 के लिए नए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फार्म अधिसूचित किए हैं जिसके तहत 50 लाख रुपये सालाना आमदनी और याच, विमान और बहुमूल्य जेवरात का शौक पूरा करने में समर्थ लोगों को इन महंगी परिसंपत्तियों का खुलासा करना होगा. नए फार्म का उपयोग आज से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष से होगा. वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में 30 मार्च को राजपत्रित आदेश प्रकाशित किया और करदाता 31 जुलाई तक अपने आयकर रिटर्न भर सकते हैं. विभाग ने नए आईटीआर (आइटीआर-2 और 2ए) फार्म में नया प्रावधान ह्यसाल के अंत तक परिसंपत्ति एवं देनदारी' किया है जो ऐसे मामलों में लागू होगा जिनमें कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक है. इस आयवर्ग में आने वाले व्यक्तियों और इकाइयों को ऐसी परिसंपत्तियों की कुल लागत का भी उल्लेख करना होगा.इसलिए नयी आईटीआर प्रणाली के तहत जमीन और मकान जैसी अचल परिसंपत्तियों, नकदी, जेवरात, सरार्फा, वाहन, याच, नाव और विमान जैसी चल परिसंपत्तियों की भी जानकारी कर अधिकारियों को देनी होगी. इन उच्च मूल्य वाली परिसंपत्तियों की जानकारी देने वालों को इस सामान से जुड़े उत्तरदायित्व का खुलासा करना होगा.एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ह्यह्य50 लाख रुपये सालाना से अधिक आमदनी दर्ज करने वालों के लिए नयी खुलासा प्रणाली उच्च निवल मूल्य वाले लोगों और इकाइयों द्वारा की जाने वाली कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए बनायी गयी है. उनका आयकर रिटर्न अब तक एक ही फार्म में शामिल होता था लेकिन अब कर अधिकारियों को सूचित करने के लिए नए विशिष्ट कॉलम आवश्यक है.' पहली बार आईटीआर को सरकार की स्टार्टअप कारोबार को बढवा देने के प्रमुख एजेंडे को ध्यान में रखकर इस क्षेत्र से आय अर्जित करने वालों के लिए एक अलग कॉलम लाया गया है. आईटीआर-2ए, ऐसे लोग या एचयूएफ दाखिल करेंगे जिनकी आय न कारोबार, प्रोफेशन या पूंजी लाभ के जरिए होती है और न ही उनके पास विदेशी परिसंपत्ति है. इस में एक नया कॉलम पास थ्रू इनकम (पीटीआई) है और इसके तहत आयकर अधिनियम उद्यम पूंजी कंपनी में किए गए निवेश कारोबार न्यास या निवेश कोष का ब्योरा मांगा गया है जो उभरती कंपनियों या स्टार्टअप कंपनियों से जुड़ा है.
 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में घोषणा की थी कि स्टार्टअप को तीन साल के लिए 100 प्रतिशत छूट मिलेगी. इस साल के लिए संबंधित फार्म आठ पन्ने (परिशिष्ट समेत) का हो गया है जो पिछले वित्त वर्ष में सात पन्ने का था. आईटीआर-2 का उपयोग भी उसकी प्रकार की इकाइयां करती हैं पर उनके पास विदेशी परिसंपत्तियां होती हैं. इस फार्म में नया पीटीआई कॉलम शामिल है. कुल नौ आईटीआर अधिसूचित किए गए हैं. इनमें सहज आईटीआर-1, आईटीआर-2, आईटीआर-2ए, आईटीआर-3, सुगम (आईटीआर-4एस), आईटीआर-4, आईटीआर-5, आईटीआर-6, आईटीआर-7 और एक पावती फार्म आटीआर-वी शामिल हैं. सबसे आसान आईटीआर-1 (सहज) उन लोगों के लिए है जो वेतन भोगी हैं, एक घर है या अन्य स्रोत हैं. इसमें अब एक-एक अतिरिक्त कॉलम होगा, जिसमें कर संग्रह स्रोत (टीसीएस) का होगा और इस फार्म में अब सात पन्ने होंगे जो पहले पांच पन्नों का होता था. विभाग ने ऐसे कॉलम में कोई बदलाव नहीं किया है जिसमें व्यक्तियों या इकाइयों से विदेशी परिसंपत्तियों के खुलासे की मांग की गयी हो इसके अलावा आधार संख्या, व्यक्तिगत मोबाइल फोन नंबर और ईमेल आईडी जैसी विशिष्ट जानकारियों की अनिवार्यता यथावत रखी गयी है. पासपोर्ट की जानकारियां इस बार भी अनिवार्य की गयी है. व्यक्तियों और इकाइयों को पिछले वर्ष अपने नाम के बचत और चालू बैंक खातों की संख्या का विवरण देने की अनिवार्यता इस भी बनाए रखी गयी है. इसमें निष्क्रिय खातों की जानकारी देने की जरूरत नहीं है.