Saturday 26 March 2016

छलावे की राजनीति से तौबा करना चाहता है उत्तर प्रदेश का नौजवान

उत्तर प्रदेश का नौजवान कशमकश में है। पिछले दो दशक से यहां का नौजवान छलावे की राजनीति का शिकार होता आ रहा है। कभी वह बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के छलावे में फंसा तो कभी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के झांसे में आकर अपने जीवन के कीमती समय को गवांया। बदले में कुछ भी हासिल नहीं हुआ, सिवाय बेबसी और बेकारी के। 2017 में एक बार फिर निर्णय लेने का समय आ गया है। नौजवानों पर एक बार फिर डोरे डालने शुरू हो गए हैं। कोई राजगार को प्रलोभन दे रहा है तो कोई बेरोजागरी भत्ते की बात कहकर फिर बहकाना चाहता है। वर्ष 2007 में मायवती के छलावे में आकर नौजवानों ने बसपा की सरकार बनाई तो मायावती ने इसे अपनी कूबत समझ ली और प्रदेश में जमकर लूट व भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दिया। एनआरएचएम घोटाला, मनरेगा घोटाला जैसे कारनामे इसी सरकार के देन रहे। 2012 में नौजवान एक बार फिर मुलायम सिंह के बहकावे में आ बैठे और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया तो फिर वही देखने को मिला। अखिलेश यादव खुद कठपुतली मुख्यमंत्री साबित हुए। वह अपने मंत्रियों को मनाने में ही पांच साल का समय गवां बैठे। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी चुपचाप बैठी रही और लोगों को लुटते देखती रही। अब तो सयम आ गया है जब उत्तर प्रदेश के नौजवान दलगत राजनीति से ऊपर उठकर ईमानदार और स्वच्छ छवि  के उम्मीदवारों को चुनाव जिताना चाह रहे हैं, भले ही वह स्वतंत्र उम्मीदवार क्यों न हो। 

Friday 25 March 2016

बदला लेने के लिए लश्कर ए तैयबा से हेडली ने मिलाया था हाथ

मुंबई। आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने मुंबई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि उसने भारत से बदला लेने के लिए लश्कर ए तैयबा संगठन से हाथ मिलाया था। हेडली ने कहा कि 1971 में पाकिस्तान स्थित उसके स्कूल को भारतीय प्लेनों ने बम से उड़ा दिया था जिसके बाद बचपन से ही उसके मन में भारत और भारतीयों के खिलाफ नफरत पैदा हो गई थी। यही वजह थी कि वह भारत को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाना चाहता था। गौरतलब है कि 2008 में हुए 26/11 मुंबई हमले में अपने कथित रोल के लिए फिलहाल हेडली अमेरिका में 35 साल की सजा काट रहा है।
इसलिए करता था भारत से नफरत
मुंबई कोर्ट में क्रॉस एक्जाम के दौरान हेडली ने कहा कि मैं भारत से इसलिए नफरत करता था क्योंकि 1971 में भारतीय हवाई जहाजों ने मेरे स्कूल को उड़ा दिया था, जो लोग वहां काम करते थे वह सब मारे गए थे।' हेडली यहां 3 - 16 दिसंबर 1971 तक हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिÞक्र कर रहा था। उस वक्त हेडली की उम्र 11 साल थी। पाकिस्तानी पिता और अमेरिकी मां के बेटे हेडली ने 16 साल की उम्र तक पाकिस्तान में पढ़ाई की जिसके बाद वह अमेरिका चला गया। मुबंई कोर्ट को उसने बताया कि 2002 में उसने लश्कर से हाथ मिलाया था। मुबंई पर 2008 में हमला करने से पहले हेडली ने अपनी कई यात्राओं के दौरान शहर का जायजा लिया था।

यूसुफ रजा गिलानी उसके घर आए थे
हेडली ने अपने बयान में एक नया मोड़ लाते हुए मुंबई अदालत को बताया कि 26/11 आतंकी हमलों के कुछ हफ्ते बाद ही पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी उसके घर आए थे। हेडली ने सत्र अदालत के विशेष न्यायाधीश जी ए सनाप को बताया कि यह कहना सही नहीं होगा कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने 26/11 हमले के एक महीने के बाद मेरे पिता के अंतिम संस्कार में शिरकत की थी। दरअसल, वह (गिलानी) इसके कुछ सप्ताह बाद हमारे पाकिस्तान स्थित घर आए थे। हेडली ने कहा कि उसके पिता पाकिस्तान रेडियो में महानिदेशक थे और वह लश्कर के साथ उसके संबंधों के बारे में जानते थे। हेडली ने कहा कि मेरे पिता लश्कर-ए-तैयबा के साथ मेरे जुड़ाव के बारे में जानते थे और वह इससे खुश नहीं थे। हेडली से जब पूछा गया कि क्या यह सच है कि उसका सौतेला भाई डेनियल उसके लश्कर से संबंध के बारे में जानता था, तो हेडली ने सिर्फ इतना ही कहा कि डेनियल पाकिस्तान में नहीं रह रहा था।

हां मैं बुरा आदमी हूं..
2009 में हेडली को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया था और गारंटी दी गई थी कि अगर वह लश्कर के बारे में खुलासे करेगा तो उसे फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। फरवरी में अमेरिका की एक अज्ञात जगह से वीडियो लिंक के जरिए कई दिनों तक चली गवाही के बाद अब मुबंई कोर्ट में उसे क्रॉस एक्जाम किया जा रहा है। हेडली ने क्रोस एग्जामिनेशन यह भी बताया कि वह अमेरिका में  शिवसेना के लिए फण्ड रेजिंग प्रोग्राम करना चाहता था। इसके लिए वह राजाराम रेघे से संपर्क में था। हेडली वहां शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे को भी ले जाना चाहता था  लेकिन वहां उन पर हमले का कोई प्लान नहीं था। जब हेडली से एफबीआई और उसके बीच हुई डील से जुड़ा सवाल पूछा गया तो हेडली ने हिंदी में कहा हां मैं बहुत खराब आदमी हूँ  मैंने मान लिया। आप कहेंगे तो फिर से मान लेता हूं लेकिन इससे आप साबित क्या करना चाहते हैं?


Tuesday 22 March 2016

नक्सलवाद खत्म करने के लिए आदिवासियों की राय से विकास योजनाएं बनानी होगी

रायपुर। विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के बुलावे पर छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर में आयोजित होली मिलन समारोह में शामिल होने आए कवि कुमार विश्वास की नक्सलवाद पर राय जुदा है। कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेता भी है। उन्होंने सोमवार की रात संस्कृति भवन के गढकलेवा में कुछ पल पत्रकारों के साथ बिताए। यहां उन्होंने हर पहलू पर खुलकर चर्चा की। नक्सलवाद पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक आदिवासियों को विकास योजनाए तैयार करने में भागीदार नहीं बनाया जाएगा, तब तक इस समस्या का समाधान हो पाना संभव नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि उद्यमियों को सरकार आखिर भूमि क्यों मुहैया कराती है। उद्यमी जिस तरह से कारोबार से जुड़ी हर सामग्री को एकत्र करता है, उसी तरह से उसे भूमि का प्रबंध करने के लिए भी आदिवासियों के बीच जाना चाहिए, किन्तु दुखद पहलू यह है कि उद्यमी भूमि लेने के लिए सरकार के पास आता है और सरकार उसे भूमि मुहैय्या कराती है। इस पहलू पर विचार करना होगा। उन्होंने नक्सलियों द्वारा चलाई जा रही समानान्तर सरकार को लोकतंत्र का शर्मनाक पहलू बताया और कहा कि लोकतांत्रिक देश में ऐसा किसी भी हालत में संभव नहीं हो सकता।

राहुल गांधी पर साधा निशाना
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा और चुटकी ली। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी में नेता बनने की न तो सोच है और न ही नेतृत्व करने का कोई गुण है, पर उन्हें पार्टी द्वारा जबरिया नेता का ताज पहनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी चाहे जो कर ले, वह राहुल गांधी को नेता नहीं बना पाएगी।

छत्तीसगढ़ पर ‘आप’की नजर
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने इस बात का संकेत किया कि पार्टी की नजर छत्तीसगढ़ पर है। पार्टी इस बात का अध्ययन कर रही है कि किस तरह से यहां के स्थानीय नेताओं की भागीदारी को बढ़ाकर संगठन को गांव स्तर तक मजबूत किया जा सके। पांच राज्यों में चुनाव हो जाने के बाद पार्टी छत्तीसगढ़ की ओर रूख कर सकती है।

Saturday 19 March 2016

साध्वी प्रज्ञा निर्दोष और न्यायिक आतंकवाद की शिकार

अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक व हिन्दू संसद के प्रणेता यति बाबा नरसिंहानंद सरस्वती जी महाराज और हिन्दू स्वाभिमान के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष बाबा परमेन्द्र आर्य ने भोपाल के अपने साथियो के साथ  एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया जिसमे उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को निर्दोष और न्यायिक आतंकवाद की शिकार बताया।
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये यति बाबा नरसिंहानंद सरस्वती जी ने कहा की भारतीय लोकतन्त्र को नेताओ ने धर्म निरपेक्षता के नाम पर बर्बाद करके रख दिया है।एक विदेशी महिला के इशारे पर चलने वाली कांग्रेस नीत गठबंधन सरकार ने भगवा आतंकवाद शब्द गढ़ने के लिये बिलकुल गैर संवैधानिक तरीके से निर्दोष साध्वी प्रज्ञा और उनके साथियो को जेल में डाला और अब केवल हिन्दुओ की ताकत पर बनी मोदी सरकार उन्हें इसलिये नहीं छोड़ रही है की कहीं मुसलमान नाराज न हो जाए।इसके लिये जिस तरह से संविधान को कुचला गया है,ये एक सभ्य लोकतन्त्र के लिये शर्मनाक है। उन्होंने बताया की जिस तरह भूमापीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ जी महाराज ने अर्धकुंभ में धर्म संसद आयोजित करके साध्वी प्रज्ञा के मुद्दे को पुरे संत समाज में उठा दिया था,उसी प्रकार अब कुम्भ में भी ये मुद्दा सन्यासियों के बीच सबसे प्रमुख मुद्दा होगा और संत समाज 14 और 15 मई 2016 को कुम्भ में हिन्दू हितो की रक्षा के लिये हिन्दू संसद का आयोजन करेगा जिसमे साध्वी प्रज्ञा और निर्दोष हिन्दू कार्यकर्ताओ की रिहाई सबसे प्रमुख मुद्दा बनेगी।भूमापीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ जी महाराज के मार्गदर्शन और जूना अखाडा के अंतर्राष्ट्रीय मंत्री दूधेश्वरनाथपीठाधीश्वर स्वामी नारायण गिरी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित होने वाले इस आयोजन में देश के सभी वरिष्ठ संत और 100 से अधिक संगठनो के प्रतिनिधियों के भाग लेने की सम्भावना है।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुये हिन्दू स्वाभिमान के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष बाबा परमेन्द्र आर्य ने कहा की जिस तरह से देश में हिन्दुओ की जनसंख्या का अनुपात घट रहा है वो न केवल भारतवर्ष बल्कि पुरे विश्व के लिये एक अशुभ संकेत है।ये देश केवल हिन्दू बाहुल्य होने के कारण लोकतान्त्रिक देश है।यदि ये देश हिन्दू बाहुल्य नहीं रहा तो लोकतान्त्रिक भी नहीं रहेगा। उन्होंने कहा की जिस तरह से आई एस आई एस ने भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है,ये बहुत ही चिंताजनक बात है।आज हमारे सामने रामजन्मभूमि से बड़ा मुद्दा इस्लामिक जिहाद से हिन्दू के अस्तित्व की रक्षा है।इस बार कुम्भ में इस मुद्दे पर भी गहन चिंतन होगा की यदि भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया तो बचेगा कैसे?जिस तरह से सभी राजनैतिक दल मुस्लिम वोट बैंक के लालच में हिन्दू हितो पर कुठाराघात कर रही हैं इससे संत समाज बहुत चिंतित और खिन्न है।संत समाज हिन्दू संसद के माध्यम से अपनी चिंताओं पर खुल कर मन्थन करेगा। प्रेस वार्ता में श्री दिनेश श्रुति जी,मनदीप चौहान,संजय जी भी उपस्थित थे।

Friday 18 March 2016

खेती और सहकारिता के समन्वय से किसान बनेंगे खुशहाल

 केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री मोहन भाई कुण्डारिया ने कहा है कि खेती और सहकारिता के समन्वय से ही किसानों को समृद्ध और खुशहाल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर कार्य हो रहे हैं और खेती के लिए केन्द्रीय बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। श्री कुण्डारिया ने इस सिलसिले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और नई फसल बीमा योजना और ई-मण्डी योजना का भी उदाहरण दिया। श्री कुण्डारिया इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में ‘मेक-इन-इंडिया में सहकारिता की भूमिका-ग्रामीण विकास के संदर्भ में’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि की आसंदी से श्री कुण्डारिया ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में उन्नत खेती को बढ़ावा देने और किसानों की बेहतरी के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों की भी प्रशंसा की।
लागत कम करने का सुझाव
श्री कुण्डारिया ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार दोनों का यह प्रयास है कि उन्नत खेती ऐसी तकनीकों का विकास किया जाए, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन मिल सके। उन्होंने इस मौके पर कृषि विश्वविद्यालय और महाविद्यालय परिसर में रबी अरहर फसल प्रदर्शन, संरक्षित खेती, टिशूकल्चर प्रयोग शाला और जैव नियंत्रण प्रयोगशाला सहित डॉ. आर.एच. रिछारिया के नाम पर स्थापित अनुसंधान प्रयोगशाला का भी अवलोकन किया।

Tuesday 15 March 2016

प्रतापगढ़ में दिनदहाड़े अधिवक्ता की दुस्साहसिक अंदाज में हत्या

बेखौफ बदमाशों ने 15 मार्च 2016 को उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ समाजवादी पार्टी की सरकार के चौथी वर्षगांठ पर प्रतापगढ़ में दिनदहाड़े अधिवक्ता की दुस्साहसिक अंदाज में हत्या कर दी। सुबह बाइक से कचहरी आ रहे जवाहर लाल मिश्र (50) पर ओझा का पुरवा के पास कई गोली मारी गईं। घटना से गुस्साए अधिवक्ताओं शव लेकर जिला जज के चैंबर के सामने रख दिया और धरने पर बैठ गए। देर शाम तक धरना जारी था। मुख्यमंत्री ने अधिवक्ता के आश्रितों को दस लाख रुपये दिये जाने की घोषणा की है। लालगंज कोतवाली क्षेत्र के लीलापुर पंडित का पुरवा खरगपुर गांव निवासी जवाहरलाल मिश्र (55) जिला मुख्यालय पर वकालत करते थे। मंगलवार सुबह वह बाइक से कचहरी आ रहे थे। करीब साढे़ 11 बजे वह शहर के करीब नगर कोतवाली के पूरे ओझा गांव स्थित चंद्रशेखर आजाद बाल शिक्षा निकेतन के पास पहुंचे बाइक सवार दो युवकों ने उन्हें रोका और उनके हेलमेट में पिस्टल डालकर कई गोलियां सिर में उतार दी। हेलमेट उनके सिर से नहीं निकला और वह जमीन पर गिर पड़े। करीब आधे घंटे बाद पहुंची पुलिस ने उन्हें मैजिक से जिला अस्पताल भेजा, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वकील की हत्या की खबर पर जिला प्रशासन को पहले ही बवाल की आशंका हो गई थी और जिला अस्पताल को छावनी बना दिया गया था। हालांकि तब तक भारी संख्या में वकील पहुंचे और पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को धक्का देकर शव लेकर चले आए। पहले उनका शव पुलिस लाइंस गेट पर रखकर चक्काजाम किया गया लेकिन जैसे ही पता चला कि पुलिस लाइंस में सरकारी कार्यक्रम में आए जनपद प्रभारी मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल यहां से जा चुके हैं तो लोग शव लेकर पहले कचहरी, फिर जिलाजज कार्यालय पहुंच गए। यहां शव बरफ पर रखकर हमलावरों की गिरफ्तारी की मांग करने लगे। वकीलों का कहना था कि पंचायत चुनाव के दौरान उनके बेटे को गोली मारी गई थी। यही नहीं उनके परिवार वालों पर पिछले सप्ताह भी हमला किया गया था लेकिन उपयुक्त कार्रवाई न करने के कारण उनकी भी हत्या कर दी गई। 

Tuesday 8 March 2016

रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार से नवाजी गई शिक्षाविद् डा. भारती गाँधी

लखनऊ सिटी मोन्टेसरी स्कूल की संस्थापिका-निदेशिका एवं प्रख्यात शिक्षाविद् डा. (श्रीमती) भारती गाँधी एवं 85 अन्य महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान हेतु आज मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने ‘रानी लक्ष्मीबाई वीरता पुरस्कार’ प्रदान कर सम्मानित किया। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक समारोह में सभी पुरस्कार विजेता महिलाओं को एक-एक लाख रूपये नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका एवं प्रख्यात शिक्षाविद् डा. (श्रीमती) भारती गाँधी को यह पुरस्कार महिला सशक्तीकरण की दिशा में उनके उल्लेखनीय योगदान हेतु प्रदान किया गया। उक्त जानकारी सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने दी है। श्री शर्मा ने बताया कि पुरस्कार समारोह के उपरान्त एक अनौपचारिक वार्ता में डा. गाँधी ने कहा कि नारी को सशक्त, समझदार व समाज में रचनात्मक योगदान हेतु प्रेरित करना ही मेरे जीवन का ध्येय है। वर्तमान आधुनिक समाज में भी महिलाओं से जुड़े कई गंभीर मुद्दे हैं जिन पर जागरूकता व रचनात्मक सोच की जरूरत है।

Saturday 5 March 2016

कन्हैया को भारत में कैसी आजादी चाहिए?

हमारे युग की कला क्या है? न्याय की घोषणा, समाज का विश्लेषण, परिमाणत: आलोचना। विचारतत्व अब कलातत्व तक में समा गया है। यदि कोई कलाकृति केवल चित्रण के लिए ही जीवन का चित्रण करती है, यदि उसमें वह आत्मगत शक्तिशाली प्रेरणा नहीं है जो युग में व्याप्त भावना से नि:सृत होती है, यदि वह पीड़ित ह्रदय से निकली कराह या चरम उल्लसित ह्रदय से फूटा गीत नहीं, यदि वह कोई सवाल नहीं या किसी सवाल का जवाब नहीं तो वह निर्जीव है।
बेलिंस्की (19वीं शताब्दी में रूस के जनवादी कवि)
दिल्ली के जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पहले गिरफ्तारी और अब तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद दिया गया भाषण देश में राजनीति का केन्द्र बन गया है। यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात तो है ही लेकिन सबसे अधिक दुर्भाग्य की बात भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टी के नेताओं के लिए है। देश के दोनों शीर्षस्थ दलों को यह समझना चाहिए ‘ये पब्लिक है सब जानती है’। न भाजपा के कहने से कोई देशद्रोही हो जाएगा और न ही कांग्रेस के कहने से कोई राष्ट्रभक्त। इस लेख के माध्यम से हम इस तथ्य को देश के आम नागरिकों तक पहुंचाना चाहते हैं कि किस तरह से एक सोची-समझी रणनीति बनाकर राजनीतिक दलों द्वारा लोगों को मूल विषय से भटकाने की कोशिश की जा रही है। घटना के मूल को देखें तो जो रिपोर्ट सामने आयी है उसके अनुसार 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन की तरफ से अफजल गुरु की बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। सांस्कृतिक संध्या के नाम पर आयोजित कार्यक्रम में कश्मीर की आजादी पर चर्चा होनी थी और अफजल गुरु से जुड़ी एक फिल्म भी दिखाई जानी थी। सांस्कृतिक संध्या के लिए के लिए पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इजाजत दी थी लेकिन कार्यक्रम शुरू होने से बीस मिनट पहले उसे रद्द कर दिया गया। बावजूद इसके डीएसयू के उमर खालिद की अगुवाई में कार्यक्रम हुआ और उसमें देश विरोधी नारे लगे। वहां मौजूद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने इसका विरोध किया और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के खिलाफ नारेबाजी की। कार्यक्रम के दौरान वहां पुलिस मौजूद थी लेकिन वो मूकदर्शक बनी रही। अखिल भारतीय विद्याथी परिषद ने अगले दिन थाने में शिकायत दर्ज करवाई और यूनिवर्सिटी कैंपस में विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्यारह फरवरी को बीजेपी सांसद महेश गिरी ने वसंतकुंज थाने जाकर एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने अज्ञात लोगों पर धारा 124 अ के तहत केस दर्ज किया। बारह फरवरी को जांच के लिए पुलिस जेएनयू पहुंची और छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया। कन्हैया के अलावा पुलिस की डायरी में कार्यक्रम के आयोजक उमर खालिद समेत पांच और लोगों के नाम हैं। दिल्ली पुलिस का दावा है कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कन्हैया ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे। 15 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में कन्हैया की पेशी के दौरान वकीलों ने पत्रकारों और कोर्ट में मौजूद जेएनयू के छात्रों के साथ मारपीट की। कोर्ट में कन्हैया की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त दिशा निर्देश के बावजूद 17 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में फिर हंगामा हुआ। वकीलों ने पेशी के दौरान कन्हैया पर हमला किया। पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी हुई। पूरे घटनाक्रम से नजर डालने पर दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाता है कि न तो जेएनयू में आयोजित कार्यक्रम को देश का आम नागरिक सही ठहराएगा और न ही उसके बाद कोर्ट परिसर में तथाकथित वकीलों द्वारा कई गई मारपीट को सही ठहराया जाएगा। इन सारे मामलों में संविधान में प्रदत्त कानून के तहत कार्रवाई की जानी ही चाहिए। पर ऐसा नहीं हो रहा है। लोग अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लग गए हैं। दूसरी तरफ देखें तो  जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के परिवार का कहना है कि ‘गरीब का बेटा होने की वजह से उन्हें फंसाया जा रहा है’। कन्हैया का संबंध बिहार के बेगूसराय जिÞले से है और उनका परिवार जिÞले के बरौनी प्रखंड के बीहट में रहता है। उनके पिता जयशंकर सिंह लकवा ग्रस्त हैं जबकि उनकी मां आंगनबाड़ी सेविका हैं। देशद्रोह के मामले में गिरफ़्तारी के बाद जमानत पर रिहा हुए जेएनयू के छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने 3 मार्च 2016 की रात जेएनयू परिसर में छात्रों को संबोधित किया।
उनके संबोधन के कुछ प्रमुख अंश इस प्रकार हैं-
-- इस देश में जनविरोधी सरकार है। उस सरकार के खिलाफ बोलेंगे तो इनका साइबर सेल डॉक्टर्ड वीडियो दिखाएगा।
-- हमें एबीवीपी से कोई शिकायत नहीं है क्योंकि हम सही मायनों में गणतांत्रिक लोग हैं। हम भारतीय संविधान में विश्वास करते हैं।
--दोस्तों मैं तुम्हारा यानी एबीवीपी का विच-हंटिंग नहीं करूंगा क्योंकि शिकार उसका किया जाता है जो शिकार करने लायक है। हम एबीवीपी को एक शत्रु की तरह नहीं बल्कि विरोधी के तौर पर देखते हैं।
-- प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट किया है और कहा है सत्यमेव जयते। प्रधानमंत्री जी आपसे भारी वैचारिक मतभेद है लेकिन क्योंकि सत्यमेव जयते आपका नहीं इस देश का संविधान का है, मैं भी कहता हूं सत्यमेव जयते।
-- जेएनयू पर हमला एक योजना के तहत है क्योंकि वे यूजीसी के विरोध में प्रदर्शन को खत्म करना चाहते हैं और रोहित वेमुला के लिए न्याय की लड़ाई को धीमा करना चाहते हैं। इस देश की सत्ता ने जब जब अत्याचार किया है, जेएनयू से बुंलद आवाज आई है, आप हमारी लड़ाई को धीमा नहीं कर सकते।
-- भारत से नहीं भाइयों, भारत में आजादी मांग रहे हैं। ‘से’ और ‘में’ में फर्क होता है। कुछ को तो आपने हर-हर कहकर झक लिया, आजकल अरहर से परेशान हैं।
-- आज आप छात्र और हम यहां है क्योंकि आपको लगता है कि आप पर हमला हुआ है। लेकिन यह हमला कुछ समय पहले ‘स्वामी’ ने किया था।
-- ये लंबी लड़ाई है। बिना झुके, बिना रुके हमें लड़ना है। रोहित वेमुला ने जो लड़ाई शुरू की, आप और देश के शांतिप्रिय लोग इस लड़ाई को आगे ले जाएंगे और हम इस लड़ाई में जीतेंगे।
-- भारत से नहीं भारत को लूटने वालों से आजादी चाहते हैं। हमें भूख, भ्रष्टाचार, जातिवाद और प्रांतवाद से आजादी चाहिए।

कन्हैया कुमार के भाषण के अंशों को पढ़कर आप समझ गए होंगे कि सबका असली मकसद क्या हैं। कन्हैया कुमार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य है। वह जिस देश में आजादी मांग रहे हैं, उन्हें यह महसूस करने की जरूरत है कि शायद अगर इस देश में आजादी न होती तो वह एक गरीब परिवार से निकलर दिल्ली में जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के अध्यक्ष न बन पाते। जिस देश में वह भूख, भ्रष्टाचार, जातिवाद और प्रांतवाद से आजादी चाहते हैं, इसकी शुरूआत उन्हें जेएनयू कैम्पस से ही करनी चाहिए। कन्हैया की मांगों में आतंकवाद, उग्रवाद और माओवाद से आजादी पाने की चाहत नहीं झलक रही है। उन्हें देश के प्रधानमंत्री पर आरोप लगाने से पहले इन समस्याओं पर भी जिक्र करना चाहिए था। देश में माओवाद की बढ़ती घटनाओं पर चिंता करने के बजाय इसी जेएनयू यूनिवर्सिटी से आदिवासियों और वंचित वर्ग के हितैशी बनने का चोला ओढ़कर तमाम विचारकों, साहित्यकारों के छद्मवेश में लोगों के चेहरे आए दिन सामने आते रहते हैं। क्या ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। अगर देश में माओवाद , आतंकवाद और उग्रवाद की बढ़ती घटनाओं पर चुप रहना देशभक्ति है तो कन्हैया कुमार सहीं है। अगर ऐसा नहीं है तो देश के संविधान में प्रदत्त कानून के तहत कार्रवाई होनी ही चाहिए। सबसे दुखद पहलू यह है कि देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर केन्द्रित न होकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जैसे नेता अपने भाषणों में जेएनयू मामले को केन्द्रित कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि इससे देश में उनका वोट बढ़ जाएगा। कांग्रेस के राहुल गांधी भी कन्हैया के पक्ष में बोल रहे हैं। पर दोनों शीर्ष राजनैतिक दल इस तथ्य को भलीभांति जान लें कि देश का नागरिक एक-एक घटनाओं का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। सच क्या है वह आने वाले समय में बता देगा।
रमेश पाण्डेय
वरिष्ठ पत्रकार