Thursday 10 April 2014

आजम साहब! गुस्ताखी मॉफ

अरे भाई आजम साहब, आपने यह क्या किया। यूपी को ऊपी कहने वाले समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को आप पर नॉज है। शायद इसी वजह से 2012 में विधानसभा चुनाव से पहले आपको समाजवादी पार्टी में लाने के लिए उन्होंने भरपूर अंदाज में नाटक किया था। उस नाटक में आपका भी गजब का किरदार रहा। शिवपाल भाई ने नेता प्रतिपक्ष पद का त्याग पत्र लिखकर आप को दिया और आप ने उसे फाडकर फेंक दिया। बेशक ऐसा करना उस उस लॉजिमी था। मुलायम सिंह के कहने पर ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आपको प्रयाग में लगने वाले कुंभ मेले का प्रभारी बनाया। अब जब भारतीय लोकतंत्र का महाकुंभ मेला चल रहा है तो आप अपने असली रंग में आ गए। उत्तर प्रदेश के किसी भी नागरिक को आपसे ऐसी उम्मीद नहीं रही। आप केवल मुसलमानों के मसीहा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं में भी आपकी लोकप्रियता है। दुख है के आपने अपनी इस लोकप्रियता का सकारात्मक उपयोग करने की कोशिश नहीं की। आपको लगता है कि मुस्लिम कट्टरवाद दिखाकर ही हम मुलायम सिंह के करीबी बने रह सकते हैं। यह आपकी भूल है। जिस दिन मुलायम सिंह को लगेगा कि आप उनके लिए वोट का इंतजाम नहीं कर सकते, उसी दिन से आपका काम खतम। कम से कम अब तो सुधर जाईए। ऐसी  बातें बोलिए जो हर सम्पद्राय के लोगों को अच्छी लगे। जिस समय करगिल का युद्ध हुआ था, हमें याद है इस देश का हर नागरिक रोया था। क्या हिन्दू, क्या मुसलमान। क्या सिख, क्या ईसाई। भाई अखिलेश यादव की तारीफ करूंगा कि उन्होंने इस मसले पर अपनी राय बेबाकी से रखी। अगर आजम साहब आप मुसलमानों के हिमायती हैं तो आज तक मुजफ्फरनगर की धरती पर क्यों नहीं गए। जहां हमारी मुस्लिम माताओं ने अपने दिल के टुकड़ें को ठंड से मरते देखा। जहां हमारे मुसलमान नौजवान भाईयों ने आंख के सामने सपने को चूर होते देखा। अब चुनाव आ गया है तो आप मुसलमानों का मसीहा बनने की कोशिश में पूरी कौम को हाशिए पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करने में आपकों शर्म आनी चाहिए शर्म।

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