देश की युवा पीढी दिशाहीन है। शिक्षित और गैरशिक्षित नौजवान बेरोजगारी का दंश झेल रहे है। निराशा में नशे का शिकार हो रहे हैं। इससे न केवल देश की आर्थिक व्यवस्था बदस्तूर खराब हो रही है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक तानाबाना भी गडबडा रहा है। इस समस्या को लेकर मेरे मन में हमेशा से आवाज उठाने की प्रबल इच्छा रही है। इस ब्लाग के माध्यम से मैं अपनी बात आप के बीच पहुंचाकर इस अभियान में आपको सहभागी और सहयोगी बनाने का इच्छुक हूं। मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। मैं मूलतः उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले के रानीगंज तहसील अन्तर्गत खाखापुर गांव का निवासी हूं। मेरे गांव के बगल कहला है। यह वही गांव है जहां अंग्रेजी दासता और ताल्लुकेदारों द्वारा वसूल की जा रही हरी बेगार के विरूद्ध आन्दोलन किसानों ने चलाया और 16 फरवरी 1931 को तीन किसान मथुरा प्रसाद यादव, कालिका प्रसाद विश्वकर्मा और रामदास कुर्मी शहीद हो गये थे।
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